Business Ideas

2025 में Food Wrapping Paper Manufacturing Business शुरू करें और हर महीने कमाएं ₹2 लाख

Rudra Chauhan

By Asif Shaikh

Updated On:

Follow Us

आज के समय में जब भी मैं होटल, रेस्टोरेंट, कैफे या फूड कोर्ट में खाना खाता हूँ या ऑनलाइन खाना मँगवाता हूँ, तो हमेशा खाना फूड रैपिंग पेपर में लिपटा मिलता है। इसे बटर पेपर भी कहा जाता है। ये छोटी चीज़ दिखती है लेकिन इसका इस्तेमाल बहुत बड़े स्तर पर होता है। सिर्फ बेकरी या फूड पैकेजिंग ही नहीं, आज कला, क्राफ्ट, टेक्सटाइल और परिधान सेक्टर में भी इसकी खूब मांग है।

फूड रैपिंग पेपर की खपत लगातार बढ़ रही है क्योंकि अब कई सरकारों ने खाने के व्यवसाय में प्लास्टिक के उपयोग पर पाबंदी लगा दी है। ऐसे में भारत का फूड सर्विस पैकेजिंग इंडस्ट्री ₹12,000 करोड़ से भी बड़ी हो गई है और फूड रैपिंग पेपर इसका ज़रूरी हिस्सा है। इसलिए 2025 में “How to Start a Food Wrapping Paper Manufacturing Business 2025” के बारे में जानना फायदे का सौदा है।

फूड रैपिंग पेपर की बढ़ती लोकप्रियता

फूड रैपिंग पेपर की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। क्यों? क्योंकि अब भोजन सुरक्षित, ताजा और साफ-सुथरे तरीके से ग्राहक तक पहुंचाने की जरूरत है। इसका इस्तेमाल अब कई सेक्टर्स में बढ़ गया है:

  • बेकरी और केक शॉप्स
  • फास्ट फूड आउटलेट्स और रेस्टोरेंट
  • कैफे और फ़ूड कोर्ट
  • पैकेज्ड सैंडविच/पिज्जा ब्रांड्स
  • आर्ट्स और क्राफ्ट प्रोजेक्ट्स
  • टेक्सटाइल और परिधान उद्योग

बटर पेपर अब सिर्फ एक नाम नहीं, ये एक जरूरी चीज है, खासकर फूड सर्विस के लिए।

आज हर जगह क्यों दिखता है फूड रैपिंग पेपर?

अब चाहे आप सड़क किनारे के वेंडर से समोसा लें या किसी प्रीमियम रेस्टोरेंट में बर्गर मंगवाएं, हर जगह फूड रैपिंग पेपर का इस्तेमाल होता है। इसका कारण है सरकार की तरफ से प्लास्टिक बैन (plastic ban) और eco-friendly packaging पर ज़ोर। अब अधिकांश फूड बिजनेस प्लास्टिक की जगह कागज पर शिफ्ट हो चुके हैं क्योंकि ये फूड सेफ्टी कम्प्लायंस की दृष्टि से भी ज़रूरी है।

फूड रैपिंग पेपर का बाज़ार व इसकी मांग

भारत की फूड सर्विस पैकेजिंग इंडस्ट्री इस समय ₹12,000 करोड़ से ज़्यादा की है और फूड रैपिंग पेपर इसका बड़ा हिस्सा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसकी डिमांड ख़ासी तेज़ी से बढ़ रही है। कुछ आंकड़े यहां देखिए:

  1. 2024 में विश्व फूड रैपिंग पेपर बाज़ार का आकार $384 बिलियन अमेरिकी डॉलर आँका गया।
  2. 2032 तक इसके $595 बिलियन के आसपास पहुँचने की संभावना है।
  3. इसका व्यवसाय साल भर चलता है—यह कभी सीजनल नहीं होता।
  4. जैसे-जैसे खाने-पीने की जगहें बढ़ती हैं, वैसे-वैसे इसकी खपत भी बढ़ती है।

इसलिए अगर मैं छोटा शहर चलाऊँ या मेट्रो में, ऑर्डर हमेशा बना रहता है।

फूड रैपिंग पेपर बिजनेस के फायदे

  • मांग में वृद्धि के साथ प्रॉफिट भी बढ़ता है।
  • कम निवेश में शुरू किया जा सकता है।
  • सस्टेनेबल पैकेजिंग जैसी ट्रेंड्स के कारण आगे और स्कोप बढ़ेगा।
  • सरकार और ग्राहक दोनों ही ग्रीन पैकेजिंग को महत्व दे रहे हैं।

कम लागत, जल्द ग्रोथ और रोज़ाना चलने वाला बिजनेस—इससे आसान क्या हो सकता है!

फूड रैपिंग पेपर क्या है?

फूड रैपिंग पेपर असल में एक स्पेशल कागज होता है, जिस पर फूड ग्रेड मोम या सिलिकॉन कोटिंग लगाई जाती है। ये कागज ग्रीस प्रूफ और नमी से बचाने वाला होता है। ये सामान्य कागज की तरह ऑयल या पानी सोखता नहीं, बल्कि खाने को ताजा और साफ रखता है।

फूड रैपिंग पेपर बनाने में लगने वाले कच्चे माल

फूड रैपिंग पेपर मैन्युफैक्चरिंग के लिए जिन कच्चे माल की ज़रूरत है, वे हैं:

  • फूड ग्रेड बेस पेपर (GSM 30-60): बढ़िया क्वालिटी वाला पतला कागज, फूड सेफ्टी सर्टिफाइड।
  • फूड सेफ कोटिंग (पैराफिन/सोय बेस्ड वैक्स/सिलिकॉन इमल्शन): कागज को ग्रीस प्रूफ और वॉटर प्रूफ बनाता है।
  • एडहेसिव्स और प्रिंटिंग इंक: कस्टम ब्रांडिंग या लोगो प्रिंटिंग के लिए।
  • पैकेजिंग मटेरियल्स: बंडल बनाने, पैकिंग करने, बाजार में भेजने के लिए।

इन सबको आप लोकल पेपर मिलों से, दिल्ली, अहमदाबाद, हैदराबाद जैसे इंडस्ट्रियल सिटीज़ के होलसेलर से या India Mart, Trade India, Alibaba जैसी ऑनलाइन B2B प्लेटफार्म्स से खरीद सकते हैं। फूड रैपिंग पेपर तैयार करने वाले कच्चे माल को FSSAI और फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड्स से पास होना चाहिए।

क्वालिटी और सेफ्टी के लिए स्टैंडर्ड्स

फूड रैपिंग पेपर ऐसा होना चाहिए कि उससे किसी भी फूड आइटम में हानिकारक तत्व न पहुँचें। इसके लिए FSSAI लाइसेंस और आवश्यक सर्टिफिकेशन ज़रूरी हैं। केवल फूड ग्रेड, ग्रीस प्रूफ और नमी रोधी सर्टिफिकेशन वाले कच्चे माल ही खरीदे।

कौन-कौन सी मशीनें चाहिए?

फूड रैपिंग पेपर बनाने के लिए ये मुख्य मशीनें चाहिए:

  • फूड ग्रेड पेपर कोटिंग मशीन: पेपर पर समान रूप से वैक्स/सिलिकॉन कोटिंग लगाती है।
  • पेपर स्लिटिंग और रीवाइंडिंग मशीन: बड़े रोल्स को छोटे रोल्स या आकार में काटना/लपेटना।
  • शीट कटिंग मशीन: यदि चाहिए कि पेपर शीट्स में बिके तो ये मशीन।
  • ये मशीनें सेमी-ऑटोमेटिक और फुली-ऑटोमेटिक दोनों विकल्प में आती है, और ज्यादातर सिंगल फेस पावर पर भी चलती हैं, यानी घर में भी आसानी से चल सकती हैं।

मशीनें खरीदने के लिए दिल्ली, अहमदाबाद, मुंबई, कोयंबटूर, India Mart, Trade India, Alibaba जैसी जगहों से संपर्क कर सकते हैं।

ऑटोमेशन लेवलफायदेनुकसान
सेमी-ऑटोमेटिकसस्ती, कम निवेशकम उत्पादन, ज्यादा श्रम
फुली-ऑटोमेटिकज्यादा स्पीड, कम मानव श्रमखर्चा ज्यादा, रखरखाव महंगा

मशीन चुनने के लिए किन बातों का ध्यान रखें?

  • आपकी जरूरत के मुताबिक प्रॉडक्शन कैपेसिटी क्या चाहिए?
  • बजट और मशीन की लागत कितनी है?
  • शुरू करने के लिए सेमी-ऑटोमेटिक बढ़िया है, बाद में मांग बढ़ने पर फुली-ऑटोमेटिक में शिफ्ट किया जा सकता है।
  • मशीन के लिए जगह और पावर सप्लाई कैसी है—सिंगल फेस तो घर से भी चला सकते हैं।

व्यापार शुरू करने में अनुमानित लागत

एक बेसिक सेमी-ऑटोमेटिक यूनिट घर या छोटी जगह से ₹4 से ₹6 लाख में शुरू हो जाती है। इसमें मशीन, कच्चा माल, पैकेजिंग, ब्रांडिंग, बिजली और एक-दो कर्मचारी की सैलरी शामिल है। बड़े या फुली-ऑटोमेटिक प्लांट की लागत ₹8 से ₹15 लाख तक जा सकती है।

मुख्य खर्च:

  • मशीनरी: ₹2,00,000 – ₹7,00,000
  • कच्चा माल: ₹1,00,000 – ₹2,00,000 (प्रारंभिक स्टॉक)
  • पैकेजिंग व ब्रांडिंग: ₹30,000 – ₹50,000
  • स्टाफ सैलरी: ₹10,000 – ₹30,000 (महिना)
  • बिजली व रखरखाव: ₹10,000 – ₹25,000 (महिना)

जगह की ज़रूरत और जगह का चुनाव

छोटे स्तर पर सिर्फ 500-800 वर्ग फीट में काम आसान है—घर में या रेंट पर ले सकते हैं। मीडियम या बड़े स्केल के लिए 800-2,500 वर्ग फीट इंडस्ट्रियल जगह/गोडाउन/शेड चाहिए। जगह ऐसी चुनें जहाँ बिजली, पानी और ट्रांसपोर्ट आसानी से उपलब्ध हो। सफाई और हाइजीन को प्राथमिकता देना ज़रूरी है जिससे फूड ग्रेड मानक टूटे ना।

How to Start a Food Wrapping Paper Manufacturing Business

सफाई और हाइजीन का महत्त्व

फूड से जुड़ा कोई भी प्रोडक्ट, खासकर रैपिंग पेपर, तभी बाज़ार में टिकेगा जब उसकी सफाई में कोई समझौता न हो। छोटी सेटअप या घर से काम करते वक्त भी रोज़ सफाई करें, मशीनों और स्टोरेज एरिया को सूखा और साफ रखें। स्थानीय हेल्थ कोड्स का पालन जरूर करें।

लाइसेंस और पंजीकरण

फूड रैपिंग पेपर बिजनेस में ये कागज़ात और लाइसेंस जरूरी हैं:

  • SME/Udyam रजिस्ट्रेशन: छोटे व मझोले उद्योग के लिए।
  • FSSAI लाइसेंस: फूड-कॉन्टेक्ट प्रोडक्ट्स के लिए अनिवार्य।
  • GST रजिस्ट्रेशन: टैक्स और बिलिंग के लिए।
  • स्थानीय ट्रेड/फैक्ट्री लाइसेंस: नगर पालिका या पंचायत से।
  • BIS सर्टिफिकेट: यदि प्रिंटिंग और ब्रांडिंग करते हैं।

ऊपर दिए लाइसेंस (SME, FSSAI, GST) के लिए सरकारी पोर्टल Search करके ऑनलाइन फॉर्म भर सकते हैं।

फूड रैपिंग पेपर मैन्युफैक्चरिंग की प्रक्रिया

फूड रैपिंग पेपर बनाने के स्टेप्स ये हैं:

  1. फैक्ट्री में बढ़िया क्वालिटी वाला बेस पेपर रोल लाकर मशीन में लोड किया जाता है।
  2. मशीन के कोटिंग सेक्शन में फूड ग्रेड वैक्स या सिलिकॉन की परत पेपर पर लगाई जाती है।
  3. कोटिंग के बाद पेपर को हीटिंग/ड्राइंग यूनिट से निकाला जाता है जिससे कोटिंग अच्छी और सूखी हो जाए।
  4. तैयार पेपर को शिर्ष या रोल में कटाई की जाती है।
  5. लेबर बंडल बनाकर गिनती के हिसाब से पैकिंग करता है—जरूरत हो तो मशीन द्वारा भी पैकिंग की जा सकती है।
  6. हर स्टेप पर क्वालिटी चेक ज़रूरी है ताकि कोई डिफेक्ट ना रहे।

कोटिंग कैसे बनाता है पेपर फूड सेफ?

पैराफिन वैक्स, सोय वैक्स या सिलिकॉन इमल्शन पेपर की सतह को चिकना और ग्रीस प्रूफ बना देता है। इससे ऑयली खाना पैक करने पर तेल पेपर में नहीं जाता और खाना गीला या सड़ा नहीं होता। बिना कोटिंग वाले कागज की तुलना में, ये पेपर न सिर्फ खाने को ताजा रखते हैं, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी बढ़िया हैं।

फाइनल प्रोडक्ट की पैकिंग और ब्रांडिंग

तैयार पेपर रोल्स या शीट्स को साफ पैकेजिंग में बंडल बना कर रखा जाता है। कुछ लोग हाथ से बंडल पैक करते हैं, तो कुछ सेमी-ऑटोमेटिक पैकिंग मशीन का इस्तेमाल करते हैं। क्लाइंट की मांग पर पेपर पर लोगो या ब्रांड प्रिंटिंग भी की जाती है।

बिज़नेस ग्रोथ के लिए मार्केटिंग कैसे करें?

मार्केटिंग बिज़नेस का दिल है—न जायदा खर्च, न भाड़ी ऐड्स। आज मैं इन तरीकों से अपने बिजनेस को आगे ले जा सकता हूँ:

  • लोकर फूड वेंडर, बेकरी, रेस्टोरेंट, क्लाउड किचन और फूड डिलिवरी ब्रांड्स को टारगेट करें।
  • कस्टम ब्रांडिंग और लोगो प्रिंटिंग ऑफर करें जिससे उन्हें वैल्यू मिले।
  • इंस्टाग्राम, फेसबुक पर प्रोडक्ट की फोटो/वीडियो डालें, क्यूँकि लोग देख के खरीदना पसंद करते हैं।
  • Just Dial, Google My Business, India Mart, Amazon जैसे पोर्टल्स पर बिजनेस लिस्ट करें।
  • लोकल फ़ूड और पैकेजिंग एक्सिबिशन में भाग लें।
  • ब्रोशर्स, सैंपल्स फैला कर लोकर नेटवर्किंग बढ़ाएँ।

डिजिटल मार्केटिंग के समय में, शानदार फोटो/वीडियो और सही हैशटैग्स से कम समय में लोग आपके प्रोडक्ट तक पहुँचेंगे।

मजबूत लोकल क्लाइंट बेस कैसे बनाएं?

खुद जाकर या फोन पर अपने इलाके की बेकरी, होटल, फूड कोर्ट से मिलकर सैंपल दें, दरें और क्वालिटी समझाएँ। अगर जरूरत हो तो बड़े आर्डर पर छूट या लॉयरिटी प्रोग्राम ऑफर करें। इससे ग्राहक जुड़ाव बना रहता है।

ऑनलाइन मार्केटप्लेस से बिक्री कैसे बढ़ाएँ?

India Mart, Amazon, Trade India पर प्रोडक्ट की तस्वीर, डिटेल और सर्टिफिकेट अपलोड करें। कीवर्ड रिसर्च करके प्रोडक्ट का नाम रखें, जिससे ज्यादा लोग खोजें और खरीदें। कस्टमर रिव्यू और रेटिंग से दूसरे ग्राहकों में भरोसा बढ़ता है।

फूड व पैकेजिंग ट्रेड शोज़ में भाग लेने के फायदे

लोकल पैकेजिंग ट्रेड फेयर, औद्योगिक प्रदर्शनियों में बूथ बुक करें, अच्छा डेमो और प्रजेंटेशन दें। वहाँ मिले लीड्स को शो के बाद कॉल या मेल करके कॉन्वर्ट करें।

प्रॉफिट पोटेंशियल और उत्पादन

आमतौर पर एक सेमी-ऑटोमेटिक मशीन 8 घंटे में 200 किलो पेपर बना सकती है। प्रॉफिट मार्जिन औसतन ₹120 से ₹150 प्रति किलो रहता है।

यूनिटमान
रोज़ का आउटपुट200 किलो
प्रति किलो लाभ₹120-150
रोज़ का टर्नओवर₹25,000–₹35,000
मासिक शुद्ध प्रॉफिट₹2-3.5 लाख

जितना ज्यादा बेचेंगे, उतना ज्यादा कमाएँगे। ग्राहक जितने बढ़ेंगे, बिक्री और मुनाफा भी तगड़ा बढ़ेगा।

प्रोडक्शन और प्रॉफिट कैसे बढ़ाएँ?

  • मशीन और शिफ्ट्स की संख्या बढ़ाएँ।
  • फुली-ऑटोमेटिक मशीन में निवेश करें।
  • कस्टमर बेस और कस्टम ब्रांडिंग सेवा जोड़ें।
  • नए शहरों और बड़ों वेंडर्स को टारगेट करें।

फूड रैपिंग पेपर बिजनेस क्यों है भविष्य का बिजनेस?

खाना हर किसी की जरूरत है, और सुरक्षित/स्वच्छ पैकेजिंग की मांग बढ़ती रहेगी। सरकार ईको फ्रेंडली विकल्प को बढ़ावा दे रही है और ऑनलाइन फूड डिलीवरी का ट्रेंड लगातार तेज़ हो रहा है। प्लास्टिक को बाय बाय, पेपर का ज़माना आ गया है।

ध्यान रखने वाली चुनौतियाँ

  • लगातार क्वालिटी मेंटेन रखना।
  • कच्चे माल की सप्लाई में रुकावट न आए।
  • पुराने ब्रांड्स से मुकाबला करना।
  • लाइसेंसिंग, टैक्स और स्वास्थ्य नियम बदलने पर अपडेट रहना।

सफलता के टिप्स

  • क्वालिटी और सर्टिफिकेशन में समझौता न करें।
  • मशीन का समय-समय पर रखरखाव करें।
  • अच्छे सप्लायर से संबंध बनाएँ।
  • ग्राहक की प्रतिक्रिया सुनें और मार्केटिंग में बदलाव करें।

सीखना, नेटवर्किंग और अपडेट रहना ज़रूरी

नए-बाजार ट्रेंड्स व टेक्नोलॉजी को फॉलो करें। ट्रेड शो, इंडस्ट्री फोरम और ऑनलाइन ग्रुप्स से जुड़े रहें। इससे बिजनेस आगे बढ़ेगा।

घर से बिजनेस शुरू करने के फायदे

  • किराया और खर्च कम।
  • सिंगल फेस मशीनें आसानी से घर में चल जाती हैं।

यह भी पढ़ें.

Asif Shaikh

नमस्कार! मैं हूँ रुद्र चौहान – TechBusinessTodays.com का संस्थापक। मैंने यह प्लेटफॉर्म उन सभी लोगों की मदद के लिए शुरू किया है जो अपना खुद का बिज़नेस शुरू करना चाहते हैं लेकिन उन्हें सही दिशा और जानकारी की जरूरत होती है। मुझे इस फील्ड में 5 वर्षों से अधिक का अनुभव है, और मैं लगातार प्रयास करता हूँ कि आपको मिले सबसे भरोसेमंद, अपडेटेड और व्यावहारिक जानकारी, खासकर मैन्युफैक्चरिंग से जुड़े बिज़नेस आइडियाज के बारे में।

Leave a Comment